लेखक: जय प्रकाश मंडल
द प्रदेश टाइम्स / जनकपुरधाम
कतेक प्यारी छि अहाँ हमर प्यारी, हमर जान
कतेक बेसी मनभावन
खुवसुरती सब स भरल छि
नई अछि अहाँ मे कोनो दोष राग ।
सब स सुन्दर हमर प्यारी
अहाँ हमरा अपन मोन मे सील जका सजाक राखू
अपना बाह पर सील जका
कियाक त प्यार मौत के जाका मजबुत अछि
ओकर इर्ष्या समसान के जका बेखबर
यी धधकल आइग जका जरैत अछि ।
सब स सुन्दर हमर प्यारी
अहाँके दाँत अनार के दाना जका
ठोर मौध ,नाक धरहरा जका
गाल स्याउ, छाती अंगुरके थौका जका
ढोरही गोल गोल कटोरा,बस्त्र रेशमके धागा जका
चाल चलन हिरणी , सुन्दरता स्वर्गक परी जका ।
सब स सुन्दर हमर प्यारी
सोने के कंगना आ सिक्री लगौने छि
हमर दिलके अपन आँइख के झलक स
हमर दिल चोरौैने छि
अहाँ कते सुन्दर अहांके आँइख कबुतर जका
हमर प्यारी, अहाँके सुन्दरता स्वर्गक परी जका
अहां कतेक सुन्दर प्रेमक जाल हमरालेल विछौने छि । जय प्रकाश मण्डल
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